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बलात्कार का मुख्य कारण क्या है?

Updated: Jun 2, 2021



बलात्कार;एक यैसा संवेदनशील मुद्दा है जिसकी चर्चा मात्र ही रूह को झंझोर देती है। इस मुद्दे पर विचार करने से पूर्व एक कटु सत्य को जान लेना आवश्यक है कि सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक प्रगति के बावजूद वर्तमान भारतीय समाज में पितृसत्तात्मक मानसिकता जटिल रूप में व्याप्त है। इसके कारण महिलाओं को आज भी एक ज़िम्मेदारी(बोझ) समझा जाता है। महिलाओं को सामाजिक और पारिवारिक रुढ़ियों के कारण विकास के कम अवसर मिलते हैं, जिससे उनके व्यक्तित्व का पूर्ण विकास नहीं हो पाता है।


बलात्कार रूपी दानव केवल भारत में ही मौजूद है, ऐसा बिल्कुल नहीं है। रेप को एक तरह की संस्कृति कह देने पर जब "रेप कल्चर" जैसा भीष्म शब्द उभरता है तो यह पता चल जाता है कि इसे जिवित रखने में सिर्फ़ पुरुषों की ही नहीं बल्कि महिलाओं की भी भागीदारी है।



समाज की विडंबना ये है कि स्त्री को वासना की प्रतिमूर्ति मानते हुए उसके तन के नाम पर बने सस्ते चुटकुलों से लेकर चौराहों पर होने वाली छिछोरी गपशप तक और इंटरनेट पर परोसे जाने वाले घटिया फोटो से लेकर हल्के बेहूदे कमेंट तक; इन सभी चीजों में अधिकतर पितृसत्तात्मक वर्ग की गिरी हुई सोच से हमारा सामना होता है. पोर्न फिल्में और फिर उत्तेजक किताबें पुरुषों की मानसिकता को दुर्बलता की चरम सीमा की ओर धकेलती है और वो उस उत्तेजना में अपनी मर्यादाएं भूल बैठता है। साथ ही साथ यह तनाव ही बलात्कार का कारण दिखने लगता है। मगर बात सिर्फ इतनी ही नहीं है, परिवेश में घुलती अनैतिकता और बेशर्म आचरण ने पुरुषों के मानस में स्त्री को मात्र भोग वस्तु के रूप मे चित्रित किया है। यह आज की बात नहीं है बल्कि बरसों-बरस से चली आ रही एक लिजलिजी मानसिकता है जो दिन-प्रतिदिन फैलती जा रही है। हमारी सामाजिक मानसिकता भी स्वार्थी हो रही है। फलस्वरूप किसी भी मामले में हम स्वयं को शामिल नहीं करते और अपराधी में व्यापक सामाजिक स्तर पर डर नहीं बन पाता।



आप हमारे कूल्हे छुएं या स्तन, या फिर हमारी जांघें...हम बुरा नहीं मानेंगे. आपको चाहे जो पसंद हो, हम आपको सलाह देते हैं कि नैंडोज़ के हर खाने का लुत्फ़ अपने हाथों से उठाएं."


ये नैंडोज़ चिकन का एक विज्ञापन है, जो दो साल पहले भारत के कई अख़बारों में छपा था..



एक ऐशट्रे यानी सिगरेट की राख झाड़ने वाली ट्रे है, जो देखने में कुछ ऐसी है जैसे एक नग्न महिला टब में टांगें फैलाए लेटी हो।



ये अमेज़न इंडिया की वेबसाइट पर छपे ऐश ट्रे का विज्ञापन है जो पिछले साल जून में उसकी वेबसाइट पर आया था।




अंत मे इस बात पर वापस आऊंगा, पहले समझिए


बलात्कार का मुख्य कारण आप इस तरह बखूबी समझ सकते हैं जब बलात्कार अपने आप मे एक 'रेप कल्चर' यानी 'बलात्कार की संस्कृति' की तरह दिखने लगता है और समाज मे व्याप्त होने लगता है। यह दुनिया के तक़रीबन हर हिस्से और हर समाज में किसी न किसी रूप में मौजूद है। ये शब्द सुनने में अजीब लगेंगे क्योंकि संस्कृति या कल्चर को आम तौर पर पवित्र और सकारात्मक संदर्भ में देखा जाता है लेकिन संस्कृति या कल्चर सिर्फ़ ख़ूबसूरत, रंग-बिरंगी और अलग-अलग तरह की परंपराओं और रीति-रिवाजों का नाम नहीं है। संस्कृति में वो मानसिकता और चलन भी शामिल है जो समाज के एक तबके को दबाने और दूसरे को आगे करने की कोशिश करते हैं। संस्कृति में बलात्कार की संस्कृति भी छिपी होती है जिसका सूक्ष्म रूप कई बार हमारी नज़रों से बचकर निकल जाता है और कई बार इसका भद्दा रूप खुलकर हमारे सामने आता है। मानसिक संकीर्णता समाज का पर्याय बनते दिखती है। अब समझिए कि बलात्कार रूपी संस्कृति का अभिप्राय उस सामाजिक व्यवस्था से है जिसमें लोग बलात्कार का शिकार होने वाली महिला का साथ देने के बजाय किसी न किसी तरीके से बलात्कारी के समर्थन में खड़े हो जाते हैं। इसका मतलब उस परंपरा से है जिसमें औरतों को ही बलात्कार के लिए ज़िम्मेदार ठहराया जाता है। उस संस्कृति का परिचायक है जिसमें बलात्कार और महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा को गंभीर अपराध के बजाय छोटी-मोटी और रोज़मर्रा की घटनाओं की तरह दिखाने की कोशिश की जाती है। अब जब हम ऊपर कही बातों पर विचार करे और इसके पीछे छिपे मुख्य कारण को समझने की कोशिश करे तो एक तरफ जहा हम पितृसत्तात्मक समाज और उससे जुड़ी मानसिकता को एक सार्वभौमिक पटल पर कह कर अपना पल्लू झाड़ देते है वहीं हमे इसकी बारीकी को भी समझने का प्रयास करना चाहिए। आइए, कुछ प्रमुख बारीक धागे को समझते है कि जब कोई बलात्कार रूपी घटना होती है तो आम समाज मे क्या सुनने को मिलता है :- Read more :- https://www.suiccha.com/post/बल-त-क-र-क-म-ख-य-क-रण-क-य-ह-2

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2 Comments


Neha Verma
Neha Verma
May 14, 2021

well analysed..its an eye opener..great write up bhaiya👍

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suicchafoundation
suicchafoundation
May 14, 2021
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Indeed. He is a good writer

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